जीएसटी से संभव हुआ राज्यों से निर्यात का अनुमान लगाना
नई दिल्ली : जीएसटी लागू होने से न सिर्फ परोक्ष कर आधार बढ़ा है बल्कि इसने भारतीय अर्थव्यवस्था की अनदेखी हकीकत से भी रूबरू कराया है। इस एतिहासिक परोक्ष कर के क्रियान्वयन के अब तक के विश्लेषण से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पहली बार यह अनुमान लगाना संभव हुआ है कि किस राज्य से कितना निर्यात हो रहा है।
साथ ही देश में संगठित क्षेत्र में कितने लोगों को रोजगार प्राप्त है, इसका रुझान भी जीएसटी के शुरुआती आंकड़ों ने दिया है जो सरकार के लिए नीतिगत फैसलों में काफी मददगार साबित हो सकता है। वहीं इसके क्रियान्वयन के लिए जीएसटी काउंसिल के रूप में जो नायाब संघीय तंत्र बना है, वह राजनीतिक रूप से संवेदनशील लंबित सुधारों को लागू करने के लिए नजीर बन सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को ‘आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18’ लोकसभा में पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार जीएसटी के क्रियान्वयन से परोक्ष कर आधार बढ़कर करीब डेढ़ गुना हो गया है। दिसंबर 2017 तक जीएसटी में 98 लाख कारोबारियों ने पंजीकरण कराया है जो पुराने कर आधार की तुलना में 34 लाख अधिक है। जीएसटी से पूर्व केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट की व्यवस्था में बहुत सी कंपनियों ने अलग-अलग टैक्स के लिए भिन्न पंजीकरण लिया था और अगर इस तथ्य को ध्यान में रखें तो जीएसटी से परोक्ष कर आधार में 50 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
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उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जीएसटी के लिए पंजीकरण कराने वाले कारोबारियों की संख्या बढ़ी है। जीएसटी से राजस्व संग्रह में भी वृद्धि हुई है।जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार निर्यात में राज्यों की हिस्सेदारी का आकलन करना संभव हो पाया है। पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना से ही देश का 70 प्रतिशत निर्यात होता है। जिन राज्यों से अंतरराज्यीय व्यापार और निर्यात अधिक है, वहां जीवन स्तर बेहतर है।
एक तथ्य यह भी सामने आया है कि भारत की शीर्ष एक प्रतिशत कंपनियां 38 फीसद निर्यात करती हैं जबकि ब्राजील में यह आंकड़ा 72 प्रतिशत, जर्मनी में 68 प्रतिशत, मैक्सिको में 67 प्रतिशत और अमेरिका में 55 प्रतिशत है। जीएसटी के आंकड़ों के आधार पर सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाने की कोशिश भी की गयी है कि भारत में संगठित क्षेत्र में रोजगार कितना है। इसके आधार पर सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर जीएसटी को आधार माना जाए तो भारत के 24 करोड़ गैर कृषि कामगारों में से लगभग 53 प्रतिशत संगठित क्षेत्र में हैं। यह भी पता चला है कि भारत का आंतरिक व्यापार जीडीपी का 60 फीसद है जो पहले व्यक्त किए गए अनुमान से काफी अधिक है।
केंद्र और राज्यों को साथ लाने वाली जीएसटी काउंसिल की कार्यशैली को आर्थिक सर्वेक्षण में कॉपरेटिव फेडरलिज्म ‘टेक्नोलॉजी’ का नाम दिया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसका इस्तेमाल किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में लंबित सुधारों को लागू करने के लिए किया जा सकता है।